Saturday, February 25, 2017

शायर की शायरी

हम भी होंगे शायर कभी,
इक बार तबियत से दिल तोड़ मेरा।

माना नहीं हूँ क़ाबिल तेरी मोहब्बत का,
पर तूने भी तो कभी सिखाया नहीं इश्क़ा।
हम तो मरने को तैयार है आज भी तेरे लिए,
तूने ही नहीं आज़माया कुछ दिल का।।

उनके निगाहों के दीवाने है हम,
उसकी अदाओं पर मस्ताने है हम।
जब करता हूँ याद या कॉल उनको,
हर बार पूछते है क्यों है हम।।

पैगाम का इंतजार करते-करते रात बीत गई,
हुई थी कल शाम जो बात वो शाम बीत गई।
तुनक के काटा था जो तूने फ़ोन मेरा,
उसी के इंतेजार में इक और रात ढल गई।।

इंतजार रहता है हर शाम तेरा,
रातें कटती है लेकर नाम तेरा।
बड़ी मुद्दत से पालकर बैठा हूं ये आस,
कभी तो आएगा कोई पैगाम तेरा।।

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