Sunday, July 3, 2016

ज़िन्दगी तेरे बिन यूँ गुजरती जा रही है।

ज़िंदगी तेरे बिन यूँ गुज़रती जा रही है,
मेरे क़ातिल जूँ हर रोज मेरी जाँ जा रही है।

किताब के पुराने ज़िल्द की तरह,
ये तेरे जीवन से बिछुड़ती जा रही है।

मेरे गिरते आँसुओं की ज़िरह कौन करे,
सबको मुस्कान मेरे चेहरे पर नज़र आ रही है।

मैं अपने ग़म-ए-इश्क़ का क्या वास्ता दूँ तुझे,
जब सरा-ए-दिल से तू निकलती जा रही है।

सोचा था शरीक-ए-हाल बनेगा वो मेरा,
आज सऊबत-ए-सफ़र-ए-शौक़ से हाथ छुड़ा के जा रही है।

अगर्चे अब भी कम नहीं हुआ तेरा जमाल,
पर मौत मुझे इससे हसीं नज़र आ रही है।

Wednesday, June 29, 2016

मेरी बातें बुरी ही सही

मेरी बातें बुरी ही सही,
उसकी ख़ुशी का सामान तो है।
मेरी लिए ग़मों की रात सही,
उसकी नई सुबह की अज़ान तो है।।

मेरे दर्द का बोझ क्यों ढोता कोई,
जिसके लिए मेरा नाम बस एक नाम तो है।
उसका हुस्न अब भी हुस्न-ए-कमाल है,
मेरे साथ रहकर जिंदगी उसकी बेज़ार तो है।।

क्या मिलेगा साथ रहकर उसे मेरे,
जिस दुःखों की वो हक़दार नहीं, मुझपर उसका पहाड़ तो है।
घरवालों को क्यों नाराज़ करे मेरे ख़ातिर,
मुझसे बढ़कर उनका सम्मान तो है।।

ऐ ग़म सितमगर यकीं कर मेरा,
सारे ऐब हो सकते है मुझमे, साथ वफ़ा-ए-प्यार भी तो है।
छोड़ दे तू साथ मेरा, ग़र जो तू चाहे
सारी उम्र काट दूँगा, साथ मेरे तेरे हिज़्र की रात तो है।।

Sunday, June 26, 2016

इज़ाज़त

जो तू सामने बैठ अगर मेरे, तेरा दीदार कर सकता हूँ।
तू जो दे इज़ाज़त मुझे, तुझसे प्यार कर सकता हूँ।।

आँखों में हया की सूरत लिए, प्यार की देवी की मूरत लिए।
मेरे आँखों में तू देख, तेरा अक्स दिखा सकता हूँ।
तू जो दे इज़ाज़त मुझे, तुझसे प्यार कर सकता हूँ।।

कोई बंधन नहीं इसमें, जीने की कोई तहरीब नहीं।
जो तू ले मेरा नाम इकबार, तेरी इबादत कर सकता हूँ।
तू जो दे इज़ाज़त मुझे, तुझसे प्यार कर सकता हूँ।।

है दूरियां कितनी हमारे बीच, और नज़दीकियां भी है।
तू समझ इसे तो प्यार है ना समझ तो इक एहसास है।
तुझसे कहने को बेक़रार है कुंदन, दे इशारा इक़रार कर सकता है।
तू जो दे इज़ाज़त मुझे, तुझसे प्यार कर सकता हूँ।।

कभी कभी - 2

कभी-कभी ये मासूम दिल हज़ारो सवाल करता है।
और फिर कभी-कभी उन्ही के जवाबो में उलझ जाता है।।

कभी-कभी लगता है इस जहाँ से परे चलूँ मैं ।
और फिर कभी-कभी इसी भीड़ में शामिल हो जाता हूँ।।

ये कभी-कभी वक़्त ठहराव नहीं है, जीवन है।
आखिरी मोड़ वो है जँहा फिर कभी कभी नहीं आता।।

कभी-कभी लगता है जैसे इन आँखों में आसुँओं की भरमार हो।
और फिर कभी-कभी उन्ही आसुँओं की जद्दोजहत करता है।।

Wednesday, May 25, 2016

बुलावा

ये ज़िन्दगी बेज़ार है आज ।
किस्से सुनायेंगे फिर कभी ।।
मौत ने फ़ेहरिस्त भेजी है आज ।
खुदा का बुलावा फिर कभी ।।

Saturday, May 21, 2016

कभी-कभी

कभी- कभी लगता है जैसे इन आँखों में आँसूओं की भरमार है ।
और फिर कभी- कभी ये आँखे उन्ही आँसूओ की जिद्दोजहत करता है ।
कभी-कभी ये अकेलापन काटने को दौड़ता है मुझे ।
और फिर कभी-कभी ये दिल वही सूनापन ढूंढता है ।
कभी-कभी इस तन्हाई से ऊब जाता हूँ मैं ।
और फिर कभी-कभी इस से सच्चा दोस्त कोई नहीं होता ।
पर ये कभी-कभी हर वक़्त जाने आता क्यों नहीं ?
मेरे दिल के जज्बातों को जाने समझाता क्यों नहीं ?

Sunday, May 15, 2016

इक ग़ज़ल कह दूँ तुम्हे

इक ग़ज़ल कह दूँ तुम्हे कोई,
या तेरी आँखों को पढ़ लूँ,
तेरे होठों से निकले है जो लफ़्ज,
उन्हें अपने दामन में समेट लूँ ।।

इक ग़ज़ल कह दूँ तुम्हे कोई,
या तेरी आँखों को पढ़ लूँ ।।

कितने दफे मैंने है तुम्हे पुकारा,
हर शाम-ओ-सहर बन गयी है तू मेरा सहारा,
इस नदी के इस किनारे बैठा हूँ मैं,
कैसे खुद को तेरे किनारे के पार लगा लूँ,
इक ग़ज़ल कह दूँ तुम्हे कोई,
या तेरी आँखों को पढ़ लूँ ।।

वर्षों की लगन से मेरा इक ग़ज़ल है बनता,
तेरी हर अदा ने खुद में इक ग़ज़ल को है समेटा,
कहूँ तुझसे भी तो क्या? मेरे चश्म-ओ-चिराग है खाली,
आ उनमे तेरी हर इक ग़ज़ल मैं बसा लूँ,
इक ग़ज़ल कह दूँ तुम्हे कोई,
या तेरी आँखों को पढ़ लूँ ।।

Sunday, May 8, 2016

चंद लम्हों के दरमियाँ, ये क्या हो गया

चंद लम्हों के दरमियाँ, ये क्या हो गया,
दीवाना हूँ तेरा हर ज़र्रे को खबर हो गया,
कल तक खामोश था, बाते लिए दिल के दरमियाँ,
आज एक फ़साने से वो अफ़साना हो गया ।।

चंद लम्हों के दरमियाँ, ये क्या हो गया,
दीवाना हूँ तेरा हर ज़र्रे को खबर हो गया ।।

इश्क़ मुझे उस पल भी था, बस समेटे था अपनी चाहतों को,
आज इज़हार क्या कर दिया, क़त्ल-ए-आम हो गया,
चंद लम्हों के दरमियाँ, ये क्या हो गया,
दीवाना हूँ तेरा हर ज़र्रे को खबर हो गया ।।

एतबार तू ना कर ऐ सनम, मेरी वफ़ाओं का
हम नहीं उन शोहरतों के क़ाबिल,
तू बस कह दे, है तुझे मुझसे मोहब्बत
ग़ुलाम-ए-ज़िन्दगी मैं तेरा हो गया,
चंद लम्हों के दरमियाँ, ये क्या हो गया,
दीवाना हूँ तेरा हर ज़र्रे को खबर हो गया ।।

चाहत तू है मेरी, पर हर ना के बाद लगती है अधूरी,
कह-कह कर तू है कितना ज़रूरी
मेरी जान मैं चकनाचुर हो गया,
चंद लम्हों के दरमियाँ, ये क्या हो गया,
दीवाना हूँ तेरा हर ज़र्रे को खबर हो गया ।।

Thursday, April 28, 2016

जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को

जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।

माना की प्यार में तेरा हासिल नहीं हूँ मैं,
भुला हुआ कोई राह हूँ मंजिल नहीं हूँ मैं,
चमन से कह दो मोड़ ले प्यार-ए-बहार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।

ज़मी ने अगर चाँद को चाहा गलत किया,
तुमने जो कहा मान लिया हाँ गलत किया,
समझा दो यही बात दिल-ए-बेकरार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।

चाहत तुझे नहीं है ये दावा ना किया कर,
या मेरे प्यार को दिखावा ना कहा कर,
छेड़ो ना तार - तार हुए दिल के तार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।

जा ख़्वाहिशों का आज हवन कर दिया मैंने,
तेरी यादों को भी सीने में दफ़न कर दिया मैने,
कोई जाकर खबर कर मेरे रूठे हुए यार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।

Monday, April 25, 2016

मैं तेरा था कँहा

मैं तेरा था कँहा जो तुझपे निसार हो जाता।
जब भी मैंने देखा तुमको, तुझसे प्यार हो जाता।।

जो तुम ये कहते है इश्क़ तुम्हे भी मुझसे,
मैं तुझको पाने को ज़ारो-ज़ार हो जाता।
मैं तेरा था कँहा जो मैं तुझपे निसार हो जाता।।

ले आता चाँद तारे मैं भी तेरे दामन में,
जो तू समझती हाल-ए-दिल मेरा,
तुमको भी मेरे बिना रहा नहीं जाता।
मैं तेरा था कँहा जो मैं तुझपे निसार हो जाता।।

हर वक़्त तेरे पास आने की तुझसे ही मिन्नत की,
जो परवाह होती तुझे तो,
मुझको इस हाल में छोड़े ना जाता।
मैं तेरा था कँहा जो मैं तुझपे निसार हो जाता।।

हर ख्वाब सजा रखा था कुंदन ने तेरे लिए,
हर रात को जगा रखा था कुंदन ने तेरे लिए,
जो तू होता मेरा तो यूँ छोड़ ना जाता,
लड़ जाता सारी दुनिया से तू मेरे लिए,
तू मेरा था कँहा जो तुझपे निसार हो जाता
मैं तेरा था कँहा जो मैं तुझपे निसार हो जाता।
जब भी देखा मैंने तुमको, तुझसे प्यार हो जाता।।

Saturday, April 23, 2016

बहुत बुरा किया

प्यार का फरमान दे के बहुत बुरा किया,
उसे इक अंजाम दे कर बहुत बुरा किया,
माना तुमने कभी कहा नहीं, तुम्हे भी इश्क़ है हमसे,
मगर मेरी आशिक़ी का माखौल बना के बहुत बुरा किया।

मेरे सपने जो टूट रहे थे उन्हें टूट जाने दिया होता,
यूँ मिलकर मुझसे एक अरमान जगा के बहुत बुरा किया।
प्यार का फरमान दे के बहुत बुरा किया,
उसे इक अंजाम दे कर बहुत बुरा किया,

हम अपने ही ख़्वाबों में इतने मशगूल हो गए,
जब नींद खुली तो देखा तुमसे दूर हो गए,
मुझको जगा कर तुमने बहुत बुरा किया।
प्यार का फरमान दे के बहुत बुरा किया,
उसे इक अंजाम दे कर बहुत बुरा किया,

ये इश्क़ एक सैलाब है एहसासों का, ये प्रीत बंधन है  खुदा का,
इन एहसासों को तूने ही जगा कर खुद से दरकिनार किया,
मुझे रुला कर बहुत बुरा किया।
प्यार का फरमान दे के बहुत बुरा किया,
उसे इक अंजाम दे कर बहुत बुरा किया,

Tuesday, April 19, 2016

तू ही बता दे

"तू ही बता दे सिवा तेरे हम किधर जायें,
तू दे दे साथ जो मेरा तो हम संवर जायें।

तुझे देखे बिना करार नही है नजरों को,
तुझे ही ढूढ़ता है हर पल जहाँ नजर जायें।

मुझे दे दे ये इजाजत तुझी को देखें हम,
मेरी नजरें जो छुएं तेरे हुस्न को ये निखर जाये।

हमे पता है के हम बस तुम्ही पे मरते हैं,
फिर भी ये लगता है के आज फिर से मर जायें।

हर एक राह भूला 'कुंदन' जब से देखा तुम्हे,
तुम्ही बता दो के ऐसे में कैसे घर जायें।।

Monday, April 18, 2016

आवारगी

ना जानता हूँ इश्क़ क्या है, ना जानता हूँ दीवानगी क्या है
मैं कुंदन एक बेनाम मुसाफिर हूँ, मुझसे पूछ आवारगी क्या है

कुंदन के रंग

मंज़र-ए-हश्र बदल जाते है
भीड़ में इस शख्स बदल जाते है
यंहा परवाह किसकी किसको है
जब कुंदन के रंग भी चांदी पे ढल जाते है

Sunday, April 17, 2016

साज़-ए-हार

कौन कहता है मैं महंगा हूँ सब-ऐ-बाजार में
फिर भी ना बिका जो दिया इस्तहार-ए-अखबार में
कुणाल जब तक कीचड़ में था किसी ने देखा ना
भीड़ तो तब उमड़ी जब सजा साज़-ए-हार में

Welcome

Hi friends
My warm welcome to all of you
In the world of lyrics and feelings.