जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।
माना की प्यार में तेरा हासिल नहीं हूँ मैं,
भुला हुआ कोई राह हूँ मंजिल नहीं हूँ मैं,
चमन से कह दो मोड़ ले प्यार-ए-बहार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।
ज़मी ने अगर चाँद को चाहा गलत किया,
तुमने जो कहा मान लिया हाँ गलत किया,
समझा दो यही बात दिल-ए-बेकरार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।
चाहत तुझे नहीं है ये दावा ना किया कर,
या मेरे प्यार को दिखावा ना कहा कर,
छेड़ो ना तार - तार हुए दिल के तार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।
जा ख़्वाहिशों का आज हवन कर दिया मैंने,
तेरी यादों को भी सीने में दफ़न कर दिया मैने,
कोई जाकर खबर कर मेरे रूठे हुए यार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।