Thursday, April 28, 2016

जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को

जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।

माना की प्यार में तेरा हासिल नहीं हूँ मैं,
भुला हुआ कोई राह हूँ मंजिल नहीं हूँ मैं,
चमन से कह दो मोड़ ले प्यार-ए-बहार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।

ज़मी ने अगर चाँद को चाहा गलत किया,
तुमने जो कहा मान लिया हाँ गलत किया,
समझा दो यही बात दिल-ए-बेकरार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।

चाहत तुझे नहीं है ये दावा ना किया कर,
या मेरे प्यार को दिखावा ना कहा कर,
छेड़ो ना तार - तार हुए दिल के तार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।

जा ख़्वाहिशों का आज हवन कर दिया मैंने,
तेरी यादों को भी सीने में दफ़न कर दिया मैने,
कोई जाकर खबर कर मेरे रूठे हुए यार को,
जो चाहे नाम दो मेरे इंतज़ार को,
बेसब्री, पागलपन या बचपना कहो,
अच्छा लगे वो कह दो मेरे रूह-ए-प्यार को ।

Monday, April 25, 2016

मैं तेरा था कँहा

मैं तेरा था कँहा जो तुझपे निसार हो जाता।
जब भी मैंने देखा तुमको, तुझसे प्यार हो जाता।।

जो तुम ये कहते है इश्क़ तुम्हे भी मुझसे,
मैं तुझको पाने को ज़ारो-ज़ार हो जाता।
मैं तेरा था कँहा जो मैं तुझपे निसार हो जाता।।

ले आता चाँद तारे मैं भी तेरे दामन में,
जो तू समझती हाल-ए-दिल मेरा,
तुमको भी मेरे बिना रहा नहीं जाता।
मैं तेरा था कँहा जो मैं तुझपे निसार हो जाता।।

हर वक़्त तेरे पास आने की तुझसे ही मिन्नत की,
जो परवाह होती तुझे तो,
मुझको इस हाल में छोड़े ना जाता।
मैं तेरा था कँहा जो मैं तुझपे निसार हो जाता।।

हर ख्वाब सजा रखा था कुंदन ने तेरे लिए,
हर रात को जगा रखा था कुंदन ने तेरे लिए,
जो तू होता मेरा तो यूँ छोड़ ना जाता,
लड़ जाता सारी दुनिया से तू मेरे लिए,
तू मेरा था कँहा जो तुझपे निसार हो जाता
मैं तेरा था कँहा जो मैं तुझपे निसार हो जाता।
जब भी देखा मैंने तुमको, तुझसे प्यार हो जाता।।

Saturday, April 23, 2016

बहुत बुरा किया

प्यार का फरमान दे के बहुत बुरा किया,
उसे इक अंजाम दे कर बहुत बुरा किया,
माना तुमने कभी कहा नहीं, तुम्हे भी इश्क़ है हमसे,
मगर मेरी आशिक़ी का माखौल बना के बहुत बुरा किया।

मेरे सपने जो टूट रहे थे उन्हें टूट जाने दिया होता,
यूँ मिलकर मुझसे एक अरमान जगा के बहुत बुरा किया।
प्यार का फरमान दे के बहुत बुरा किया,
उसे इक अंजाम दे कर बहुत बुरा किया,

हम अपने ही ख़्वाबों में इतने मशगूल हो गए,
जब नींद खुली तो देखा तुमसे दूर हो गए,
मुझको जगा कर तुमने बहुत बुरा किया।
प्यार का फरमान दे के बहुत बुरा किया,
उसे इक अंजाम दे कर बहुत बुरा किया,

ये इश्क़ एक सैलाब है एहसासों का, ये प्रीत बंधन है  खुदा का,
इन एहसासों को तूने ही जगा कर खुद से दरकिनार किया,
मुझे रुला कर बहुत बुरा किया।
प्यार का फरमान दे के बहुत बुरा किया,
उसे इक अंजाम दे कर बहुत बुरा किया,

Tuesday, April 19, 2016

तू ही बता दे

"तू ही बता दे सिवा तेरे हम किधर जायें,
तू दे दे साथ जो मेरा तो हम संवर जायें।

तुझे देखे बिना करार नही है नजरों को,
तुझे ही ढूढ़ता है हर पल जहाँ नजर जायें।

मुझे दे दे ये इजाजत तुझी को देखें हम,
मेरी नजरें जो छुएं तेरे हुस्न को ये निखर जाये।

हमे पता है के हम बस तुम्ही पे मरते हैं,
फिर भी ये लगता है के आज फिर से मर जायें।

हर एक राह भूला 'कुंदन' जब से देखा तुम्हे,
तुम्ही बता दो के ऐसे में कैसे घर जायें।।

Monday, April 18, 2016

आवारगी

ना जानता हूँ इश्क़ क्या है, ना जानता हूँ दीवानगी क्या है
मैं कुंदन एक बेनाम मुसाफिर हूँ, मुझसे पूछ आवारगी क्या है

कुंदन के रंग

मंज़र-ए-हश्र बदल जाते है
भीड़ में इस शख्स बदल जाते है
यंहा परवाह किसकी किसको है
जब कुंदन के रंग भी चांदी पे ढल जाते है

Sunday, April 17, 2016

साज़-ए-हार

कौन कहता है मैं महंगा हूँ सब-ऐ-बाजार में
फिर भी ना बिका जो दिया इस्तहार-ए-अखबार में
कुणाल जब तक कीचड़ में था किसी ने देखा ना
भीड़ तो तब उमड़ी जब सजा साज़-ए-हार में

Welcome

Hi friends
My warm welcome to all of you
In the world of lyrics and feelings.