Wednesday, June 29, 2016

मेरी बातें बुरी ही सही

मेरी बातें बुरी ही सही,
उसकी ख़ुशी का सामान तो है।
मेरी लिए ग़मों की रात सही,
उसकी नई सुबह की अज़ान तो है।।

मेरे दर्द का बोझ क्यों ढोता कोई,
जिसके लिए मेरा नाम बस एक नाम तो है।
उसका हुस्न अब भी हुस्न-ए-कमाल है,
मेरे साथ रहकर जिंदगी उसकी बेज़ार तो है।।

क्या मिलेगा साथ रहकर उसे मेरे,
जिस दुःखों की वो हक़दार नहीं, मुझपर उसका पहाड़ तो है।
घरवालों को क्यों नाराज़ करे मेरे ख़ातिर,
मुझसे बढ़कर उनका सम्मान तो है।।

ऐ ग़म सितमगर यकीं कर मेरा,
सारे ऐब हो सकते है मुझमे, साथ वफ़ा-ए-प्यार भी तो है।
छोड़ दे तू साथ मेरा, ग़र जो तू चाहे
सारी उम्र काट दूँगा, साथ मेरे तेरे हिज़्र की रात तो है।।

Sunday, June 26, 2016

इज़ाज़त

जो तू सामने बैठ अगर मेरे, तेरा दीदार कर सकता हूँ।
तू जो दे इज़ाज़त मुझे, तुझसे प्यार कर सकता हूँ।।

आँखों में हया की सूरत लिए, प्यार की देवी की मूरत लिए।
मेरे आँखों में तू देख, तेरा अक्स दिखा सकता हूँ।
तू जो दे इज़ाज़त मुझे, तुझसे प्यार कर सकता हूँ।।

कोई बंधन नहीं इसमें, जीने की कोई तहरीब नहीं।
जो तू ले मेरा नाम इकबार, तेरी इबादत कर सकता हूँ।
तू जो दे इज़ाज़त मुझे, तुझसे प्यार कर सकता हूँ।।

है दूरियां कितनी हमारे बीच, और नज़दीकियां भी है।
तू समझ इसे तो प्यार है ना समझ तो इक एहसास है।
तुझसे कहने को बेक़रार है कुंदन, दे इशारा इक़रार कर सकता है।
तू जो दे इज़ाज़त मुझे, तुझसे प्यार कर सकता हूँ।।

कभी कभी - 2

कभी-कभी ये मासूम दिल हज़ारो सवाल करता है।
और फिर कभी-कभी उन्ही के जवाबो में उलझ जाता है।।

कभी-कभी लगता है इस जहाँ से परे चलूँ मैं ।
और फिर कभी-कभी इसी भीड़ में शामिल हो जाता हूँ।।

ये कभी-कभी वक़्त ठहराव नहीं है, जीवन है।
आखिरी मोड़ वो है जँहा फिर कभी कभी नहीं आता।।

कभी-कभी लगता है जैसे इन आँखों में आसुँओं की भरमार हो।
और फिर कभी-कभी उन्ही आसुँओं की जद्दोजहत करता है।।