Saturday, February 25, 2017

शायर की शायरी

हम भी होंगे शायर कभी,
इक बार तबियत से दिल तोड़ मेरा।

माना नहीं हूँ क़ाबिल तेरी मोहब्बत का,
पर तूने भी तो कभी सिखाया नहीं इश्क़ा।
हम तो मरने को तैयार है आज भी तेरे लिए,
तूने ही नहीं आज़माया कुछ दिल का।।

उनके निगाहों के दीवाने है हम,
उसकी अदाओं पर मस्ताने है हम।
जब करता हूँ याद या कॉल उनको,
हर बार पूछते है क्यों है हम।।

पैगाम का इंतजार करते-करते रात बीत गई,
हुई थी कल शाम जो बात वो शाम बीत गई।
तुनक के काटा था जो तूने फ़ोन मेरा,
उसी के इंतेजार में इक और रात ढल गई।।

इंतजार रहता है हर शाम तेरा,
रातें कटती है लेकर नाम तेरा।
बड़ी मुद्दत से पालकर बैठा हूं ये आस,
कभी तो आएगा कोई पैगाम तेरा।।

Sunday, February 19, 2017

ग़ालिब सा मुक़्क़दर

ग़ालिब सा मुक़्क़दर लेकर पैदा हुआ हूँ मैं।
जँहा भी गया हर दर से ठुकराया हुआ हूँ मैं।।

बदलती है किस्मतें सभी की शायद।
दुनियाँ के रवाज़ो में जलाया हुआ हूँ मैं।।

चाहतों की कद्र कँहा किसी को है यँहा।
बस धर्म और जात को पूछता है जहाँ।।

कितने घर टूटे इन दकियानूसी विचारों से।
अब इसके ही गिरफ़्त में पहुँचा हुआ हूँ मैं।।

ग़ालिब सा मुक़्क़दर ले कर पैदा हुआ हूँ मैं।।
..............To be continued................

ज़िन्दगी बस तेरा नाम नहीं

ज़िन्दगी बस तेरा नाम नहीं,
फिर क्यों तेरा ख़्याल जाता नहीं।
दिन ढ़ल जाता है इस दौड़ती दुनियाँ में,
शामें जाने क्यों कटती  नहीं।
जबसे छोड़ के तुम हो गये,
होठों पे मुस्काने अब आती नहीं।।

डूबा रहता हूँ हर पल मैं तुझमे ही,
हर यादें है तेरी मुझमे समाई।
जैसे सजता हो कोई मुरत मंदिर में,
तेरी तस्वीर है खुद में सजाई।
वो बीते थे दिन जो संग में तेरे,
जाने लौट के फिर क्यों आते नहीं है।।

Sunday, February 5, 2017

फ़लसफा

मेरी मोहब्बत का फलसफा कुछ ऐसा था।
कुछ तेरा कहा सच्चा था, कुछ मेरा किया झूठा था।।

रात भर आँखों से समंदर निकलते रहे
कुछ तेरी यादों के साये थे, कुछ अपने मुफ़लिसी का ख्याल था।।